भारत-नेपाल संबंधों में खटास का कहीं कारण न बन जाय?
मनोज कुमार त्रिपाठी/उमेश चन्द्र त्रिपाठी
भैरहवा नेपाल! ओडीशा में मृत नेपाली छात्रा के शव के अंतिम संस्कार में उमड़े जनसैलाब और भारत के प्रति उसके गुस्से को देख ऐसी आशंका है कि नेपाल में भारत विरोधी बयार और तेज होगी। माना कि सभी नेपाली नागरिक और सभी राजनीतिक दल भारत से नफरत का भाव नहीं रखते लेकिन पहाड़ की बहुतायत जनसंख्या भारत के विरोध में रहती है। चूंकि नेपाल के मौजूदा पीएम केपी शर्मा ओली की छवि भारत विरोध की है इसलिए उनके दल एमाले के समर्थकों को भारत विरोधी माना जाता है।

भारतीय सीमा से सटे बुटवल और भैरहवा तक में ऐसी प्रतिक्रिया देखी गई। सत्तारूढ़ दल एमाले के युवा और छात्र संगठन इस मुद्दे को भारत विरोध का बड़ा मुद्दा बनाने के प्रयास में हैं। हालांकि नेपाल की छात्रा के साथ ओडीशा में घटित घटना के आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है लेकिन शिक्षण संस्थान “जिसमें वह छात्रा पढ़ रही थी’ के प्रशासन द्वारा उसी संस्थान में पढ़ रहे करीब 500 नेपाली छात्रों के साथ किया गए बर्ताव से नेपाल सरकार भारत मे शिक्षा ले रहे अपने छात्रों के प्रति चिंतित है।
भारत सरकार को भी इस बात की चिंता करनी चाहिए कि प्रतिक्रिया स्वरूप नेपाल के मेडिकल कालेजों में पढ़ रहे हजारों भारतीय छात्र-छात्राओं के साथ कुछ ऐसा न हो।
बता दें की ओडिशा में कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली नेपाल के भैरहवा वार्ड नंबर 08 बैंक कालोनी की छात्रा प्रकृति लम्साल की बीते रविवार की हास्टल के उसके कमरे मे रहस्यमय मौत हो गई। इस संस्थान में नेपाल के तकरीबन 500 और छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। प्रकृति लम्साल बीटेक तीसरे वर्ष की छात्र थी। उसकी आक्समिक मौत की खबर से वहां पढ़ रहे नेपाली छात्र आक्रोशित हो गए और शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर घटना की निष्पक्ष जांच की मांग करने लगे।
विश्वविद्यालय प्रशासन सूझबूझ से काम लेने के बजाय नेपाली छात्रों से हास्टल खाली कराकर उन्हें नेपाल वापस जाने के लिए भूवनेश्वर व कटक रेलवे स्टेशन पर पंहुचा दिया। विश्वविद्यालय के गार्डों ने नेपाली छात्रों के साथ मार पिटाई भी की।
प्राकृति लम्साल की मौत के पीछे विश्वविद्यालय प्रशासन ने “रोमांटिक” कनेक्शन बताया है। आक्रोशित नेपाली छात्रों का कहना है कि प्रकृति लम्साल को एक भारतीय छात्र लगातार परेशान कर रहा था। इसकी शिकायत विश्वविद्यालय प्रशासन से कई बार की गई लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। इस बीच प्रकृति लम्साल और भारतीय छात्र के बीच वार्ता का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसे नेपाल में घर-घर देखा सुना जा रहा है। यह वीडीयो नेपाल में भारतियों के प्रति नफरत की आग में घी का काम कर रहा है।
ओडीशा के केआईआईटी के डायरेक्टर एक राजनेता हैं अच्युताय नंद सामंत
अच्युतानंद सामंत वॉलीबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं
उनके हिस्से में ढेर सारी उपाधियां, उपलब्धियां दर्ज
है। 2019 से 2024 तक वे ओडिशा के कंधमाल से बीजू जनता दल के संसद सदस्य (लोकसभा) थे। उत्कल विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान में एम.एस-सी. की डिग्रीधारी सामंत ने भुवनेश्वर के एक कॉलेज में रसायन विज्ञान के व्याख्याता के रूप में अपना करियर शुरू किया। सामंत को कई पुरस्कार मिले और उन्होंने सामाजिक उद्यमिता के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित किए। अमेरिकन एज फाउंडेशन ने उन्हें दुनिया के शीर्ष 15 सामाजिक उद्यमियों में शामिल किया। सामंत का नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भारत के किसी भी विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के चांसलर के रूप में दर्ज है। सामंत यूजीसी के दो बार सदस्य भी रहे। मात्र दो कमरे में केआईआईटी की शुरुआत करने वाले अच्युताय नंद सामंत का इतना बड़ा साम्राज्य रहस्यमयी संसार से कम नहीं। प्रकृति की मौत की घटना के बाद जब नेपाली छात्र आक्रोशित हुए तो इस विश्वविद्यालय प्रशासन का कोई चिंटू दावा कर रहा था कि जितना नेपाल सरकार का बजट है उससे ज्यादा इस विश्वविद्यालय का बजट है।
दावा है कि वर्तमान में इस संस्थान में 40 हजार छात्र हैं और 65 देशों का प्रतिनिधित्व है। नेपाल के बुटवल की रहने वाली प्रकृति लम्साल भी इसी 65 देशों में से एक नेपाल का हिस्सा थी जो इस संस्थान के क्रूर और निर्दयी प्रशासन का शिकार हो गई।
बहर हाल इस घटना के विरोध में नेपाल के राजनीतिक दल और छात्र संगठन लगातार आंदोलनरत हैं, यह और उग्र न हो इसे रोकने की जिम्मेदारी दोनों देशों के राजनयिक और उच्च प्रशासन की है। ताकि ऐसा न हो कि यह घटना भारत नेपाल संबंधों में खटास का एक और कारण बन जाय।