प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार निलंबित

बभनौली बुजुर्ग में एमडीएम गड़बड़ी मामला, डीएम ने दिए जांच के आदेश

 

उमेश चन्द्र त्रिपाठी 

महराजगंज! जनपद महराजगंज के विकास खंड परतावल के ग्राम पंचायत बभनौली बुजुर्ग में मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना में अनियमितता के मामले में जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। जिलाधिकारी अनुनय झा ने ग्राम प्रधान श्रीमती शकीला के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार निलंबित कर दिए हैं। साथ ही, तीन सदस्यीय समिति गठित कर ग्राम पंचायत के कार्यों के संचालन का आदेश जारी किया गया है।

मुख्य विकास अधिकारी, महराजगंज के निर्देश पर 22 फरवरी 2025 को विकास खंड परतावल में विभिन्न विकास कार्यों का निरीक्षण किया गया। इस दौरान प्राथमिक विद्यालय डॉ. टोला में कुल 39 नामांकित बच्चों में से 32 उपस्थित पाए गए। जांच में यह भी सामने आया कि 20 और 22 फरवरी को मध्यान्ह भोजन नहीं बना था, जबकि प्रधान के पास पर्याप्त खाद्यान्न मौजूद था।

विद्यालय के प्रधानाध्यापक वीरेन्द्र सिंह यादव ने बताया कि उन्होंने अपनी ओर से व्यवस्था कर एमडीएम बनवाया, क्योंकि ग्राम प्रधान द्वारा खाद्यान्न उपलब्ध नहीं कराया गया था। हालांकि, निरीक्षण में यह भी पाया गया कि प्रधान के दबाव में एमडीएम रजिस्टर में लाभान्वित बच्चों की संख्या 32 व 35 दर्ज की गई थी, जबकि इन दिनों भोजन बना ही नहीं था। इस अनियमितता के लिए प्रधान को दोषी पाया गया।

कारण बताओ नोटिस जारी करने पर प्रधान श्रीमती शकीला ने 24 मार्च 2025 को अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि वह 60 वर्षीय महिला हैं और विद्यालय में राशन सुरक्षित रखने की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उसे अन्यत्र रखा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालय के वित्तीय मामलों की देखरेख प्रधानाध्यापक करते हैं, और वे पढ़ी-लिखी न होने के कारण उन्हीं के निर्देशों का पालन करती हैं।

लेकिन, जांच के बाद जिला प्रशासन ने प्रधान के इस स्पष्टीकरण को साक्ष्य विहीन और असंतोषजनक मानते हुए कार्रवाई करने का निर्णय लिया।

जिलाधिकारी अनुनय झा ने उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1947 की धारा 95 (1) (छ) के तहत प्रधान श्रीमती शकीला के प्रशासनिक एवं वित्तीय अधिकार निलंबित कर दिए हैं। मामले की अंतिम जांच के लिए जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी श्री रामनरेश मौर्य और सहायक अभियंता (पीडब्ल्यूडी) को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है।

जब तक अंतिम जांच में प्रधान दोषमुक्त नहीं हो जातीं, तब तक ग्राम पंचायत के कार्यों का संचालन तीन सदस्यीय समिति द्वारा किया जाएगा। जिला प्रशासन ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं और प्रधान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।

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