मनोज कुमार त्रिपाठी
काठमांडू! नेपाल में राजशाही की बहाली और हिन्दू राष्ट्र की मांग को लेकर बवाल शुरू हो गया है। हिंसक प्रदर्शनों के चलते राजधानी काठमांडू में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। शुक्रवार को राजशाही समर्थकों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं। स्थिति बिगड़ने के बाद तिनकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है। 10 बजे तक त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। उड़ान भरने और लैंडिंग करने वाली सभी उड़ानों पर रोक दिया है। हिंसक प्रदर्शन में 1 प्रदर्शनकारी की मौत की खबर है।
साल 2008 में संसद ने नेपाल से राजशाही को समाप्त कर धर्मनिरपेक्ष, संघीय, लोकतांत्रिक गणराज्य देश घोषित किया था। हाल के वर्षों में राजशाही की बहाली और हिन्दू राष्ट्र की मांग ने जोर पकड़ लिया है। यह मांग उस समय और तेज हो गई जब पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र ने 19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस के अवसर पर जनता से समर्थन की अपील की।
नेपाल में राजशाही की पुनर्स्थापना और हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग को लेकर किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के दौरान शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच झड़पें हो गईं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कई घरों, इमारतों और वाहनों में आग लगा दी, जिसके जवाब में पुलिस ने आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियां चलाईं। स्थिति को काबू रखने के लिए नेपाली सेना को भी तैनात किया गया है।
नेपाल में बढ़ते तनाव को देखते हुए गृह मंत्रालय में सुरक्षा एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों की एक आपात बैठक बुलाई गई। इस बैठक की अध्यक्षता गृह मंत्री रमेश लेखक ने की, जिसमें नेपाल पुलिस के आईजी दीपक थापा, सशस्त्र प्रहरी बल के आईजी राजू आर्याल, नेपाली सेना के प्रधान सेनापति अशोक राज सिग्देल और खुफिया विभाग के प्रमुख हुतराज थापा भी शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक के बाद गृह मंत्री द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रदर्शन की घटनाओं के लिए पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र को जिम्मेदार ठहराने की संभावना जताई जा रही है।
उधर नेपाल में बिगड़ते हालात को देखते हुए प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी कैबिनेट की आपातकालीन बैठक बुलाई। यह बैठक प्रधानमंत्री के सरकारी आवास पर शाम 7 बजे आयोजित की गई, जिसमें देश की वर्तमान स्थिति और सुरक्षा उपायों पर चर्चा हुई।