नेपाल में हुए आंदोलन का वन मैन हीरो थे दुर्गा प्रसाई 

ज्ञानेंद्र नहीं, दुर्गा प्रसाई ने लीड किया नेपाल में राजशाही आंदोलन

 

सार

अब तक माना जा रहा था कि नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में राजशाही के समर्थन में आंदोलन हो रहा है, लेकिन असल में इसे लीड करने वाला और दिशा देने वाला शख्स कोई और ही है। और वे शख्स है दुर्गा प्रसाई जो नेपाल के एक दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता और मेडिकल एंटरप्रेन्योर हैं।

 उमेश चन्द्र त्रिपाठी 

काठमांडू! नेपाल में राजशाही आंदोलन की मांग को लेकर हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शन ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। इस आंदोलन में दो लोगों की मौत हो गई और पुलिस ने 100 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। इनमें राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष रविंद्र मिश्र और जनरल सेक्रेटरी धवल शमशेर राणा भी शामिल हैं।

लेकिन, इस पूरे आंदोलन का असली चेहरा कोई और है। अब तक माना जा रहा था कि नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह के समर्थन में यह आंदोलन हो रहा है, लेकिन असल में इसे लीड वाला और दिशा देने वाला शख्स कोई और ही है। इनका नाम है दुर्गा प्रसाई।

कौन है दुर्गा प्रसाई?

बता दें कि दुर्गा प्रसाई नेपाल के एक दक्षिणपंथी राजनीतिक कार्यकर्ता और मेडिकल एंटरप्रेन्योर हैं। वे 2023 से लगातार नेपाल में राजनीतिक आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं। उनका उद्देश्य देश में 2015 में लागू हुए संविधान को बदलकर फिर से राजशाही और हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना है। प्रसाई का नेपाल के बैंकिंग क्षेत्र में भी एक विवादित इतिहास रहा है। उन्होंने नेपाल के 8 प्रमुख बैंकों से कुल 5.57 अरब नेपाली रुपये का लोन लिया था, जिसे अभी तक चुकाया नहीं गया है। उनके खिलाफ लोन डिफॉल्ट के मामले भी दर्ज हैं।

प्रसाई का राजनीतिक सफर और विवाद

2017 की शुरुआत में सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई, जिसमें दुर्गा प्रसाई नेपाल के दो पूर्व प्रधानमंत्री और कम्युनिस्ट पार्टियों के प्रमुख नेताओं—केपी शर्मा ओली और पुष्प कमल दहाल के साथ भोजन करते नजर आए। प्रसाई का दावा है कि उनके आवास पर हुई इस बैठक ने नेपाल में वामपंथी दलों को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई। इस मुलाकात के बाद ही सीपीएन (यूएमएल) और सीपीएन (माओवादी केंद्र) ने गठबंधन किया, जिसने 2017 के आम चुनाव में 275 में से 174 सीटें जीतकर सरकार बनाई।

दुर्गा प्रसाई कभी माओवादियों के समर्थक थे, लेकिन बाद में वे अक्टूबर 2021 में सीपीएन (यूएमएल) के विधान सम्मेलन में प्रतिनिधि चुने गए। दिसंबर 2021 में उन्हें पार्टी की केंद्रीय समिति के लिए नामांकित किया गया और उद्योग, व्यापार और आपूर्ति विभाग के उपप्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन फरवरी 2023 में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया, जब उन्होंने खुले तौर पर राजशाही की वापसी, नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने और संघीयता समाप्त करने की मांग उठाई।

हिंसक प्रदर्शन और प्रसाई की भूमिका

28 मार्च 15 गते शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान राजा आओ, देश बचाओ और हमें राजशाही वापस चाहिए जैसे नारे लगाए गए। 

प्रदर्शनकारियों ने सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है। इस आंदोलन में दुर्गा प्रसाई की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, वे इस आंदोलन के चीफ कमांडर हैं और नेपाल पुलिस उनकी तलाश कर रही है।

मेडिकल कॉलेज विवाद और कानूनी लड़ाई

दुर्गा प्रसाई बीएंडसी अस्पताल और तक्षशिला एजुकेशन फाउंडेशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। उन्होंने झापा में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने के लिए सरकार से अनुमति मांगी थी, लेकिन कुछ विवादों के चलते इसे रोक दिया गया। मार्च 2024 में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि मेडिकल एजुकेशन कमीशन और काठमांडू यूनिवर्सिटी को बीएंडसी अस्पताल को एमबीबीएस पाठ्यक्रम की मंजूरी देनी होगी। 

गृह मंत्रालय के अनुसार, आंदोलन के मुख्य आयोजक नवराज सुवेदी को हाउस अरेस्ट में रखा गया है और दुर्गा प्रसाई की तलाश जारी है।अगर सरकार जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाती, तो नेपाल में यह आंदोलन और भी उग्र हो सकता है।

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