लगाते हैं बड़े भाई वीरेंद्र के परिवार को खत्म कराने का मिथ्या आरोप- दुर्गा प्रसाई केंद्रीय अध्यक्ष राष्ट्र, राष्ट्रीयता, धर्म, संस्कृति और नागरिक बचाओ महाअभियान नेपाल
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
अगर नेपाल में कोई शख्स सबसे ज्यादा रहस्यमयी है, जिसके बारे में लोग कम जानते हैं तो वो पूर्व राजा ज्ञानेंद्र हैं। कई मामलों में उन पर कथित रूप से उंगली उठी, लेकिन आरोपों का सच कभी सामने नहीं आ पाया। आज जनता जिस राजा ज्ञानेंद्र को वापस लाओ मुहिम के पीछे खड़ी है,वो कथित रूप से सबसे विवादास्पद शख्सियत रहे हैं।
नेपाल में फरवरी में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र ने जिस चिंगारी के बीज बोए, वो बीते 28 मार्च 15 गते शुक्रवार को फूट पड़ी। काठमांडू में हजारों लोग इस मांग के साथ हिंसा पर उतर आए कि नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाओ। नेपाल में फिर से राजा का दौर लाओ। पूर्व राजा ने नेपाल की जनता से सीधे तौर पर समर्थन मांगा था, जिसके बाद जनता सड़कों पर उतर आई। 2 लोग मारे गए। मरने वालों में एक पत्रकार भी शामिल हैं। कई इमारतों को आग लगा दी गई। फिलहाल नेपाल में शांति है। कर्फ्यू हट गया है, लेकिन इस बात की गारंटी नहीं कि शांति बनी रहेगी। पत्रकार की हत्या के आरोप में पुलिस एक महिला की तलाश में जुटी हुई है।
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के लिए भले ही आज नेपाल में समर्थन दिख रहा हो, लेकिन वो बेहद चर्चित और कथित रूप से विवादास्पद भी रहे हैं। सत्ता से 16 साल से दूर हैं, लेकिन नेपाली जनता में आज भी उनकी लोकप्रियता कम नहीं हुई है। आज भी उनकी तूती बोलती है। हालांकि कथित रूप से उन पर कई संगीन आरोप लगे हैं। जैसे भतीजे के जरिये अपने भाई राजा वीरेंद्र के पूरे परिवार को खत्म करा देने का आरोप।
राजा ज्ञानेंद्र के खिलाफ कथित तौर पर सबसे बड़ा मसला है ज्ञानेंद्र के बड़े भाई राजा वीरेंद्र शाह के परिवार का खात्मा। दुनिया को दहला देने वाला ये कांड एक जून 2001 में हुआ था। दुनिया ये जानती है और आरोप भी यही है कि राजा वीरेंद्र के बड़े बेटे राजकुमार दीपेंद्र ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था, लेकिन सवालों के घेरे में राजा ज्ञानेंद्र हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जब ये जघन्य हत्याकांड हुआ था, तब वीरेंद्र के पूरे परिवार का खात्मा हो गया था, लेकिन 1 जून 2001 को जिस शख्स का बाल भी बांका नहीं हुआ था वो थे राजा वीरेंद्र के छोटे भाई ज्ञानेंद्र।
आज भी ये सवाल अनसुलझा है कि क्या राजा वीरेंद्र के पूरे परिवार के खात्मे के पीछे साजिश ज्ञानेंद्र की थी, जो सत्ता हासिल करना चाहते थे, ये संयोग कैसे हो सकता है कि उस रात पार्टी में ज्ञानेंद्र शाह मौके पर नहीं थे। इतना ही नहीं ज्ञानेंद्र शाह का पूरा परिवार भी पार्टी में नहीं था। कहा जाता है कि पूरी साजिश में कहीं ना कहीं राजा ज्ञानेंद्र का भी रोल रहा था। कुछ सालों तक राजा ज्ञानेंद्र बतौर हिदू शासक नेपाल पर राज करते रहे, लेकिन उनका कार्यकाल काफी विवादों से भी भरा रहा था।
लोकतंत्र के राज के साथ उनकी कभी नहीं बनी। राजा ज्ञानेंद्र ने लोकतंत्र को दबाने की पूरी कोशिश की। पूरी ताकत और हक उन्होंने खुद अपने हाथ में ले लिए थे। खुद को सर्वशक्तिशाली घोषित कर दिया था बड़े भाई वीरेंद्र के दौर में राजा का दखल सत्ता में कम हो गया था, लेकिन ज्ञानेंद्र ने सारे हक खुद ले लिए।
अगर आज की बात करें तो राजा ज्ञानेंद्र आज भी अकूत संपत्ति के मालिक हैं। उनकी जायदाद 2008 में 100 मिलियन डॉलर थी। नेपाल में उनके कई होटल हैं। कई चाय बागान हैं। वो नेपाल के बड़े निवेशक हैं। आज दोबारा से राजा की वापसी को लेकर जो आंदोलन हो रहा है, उसको कौन लीड करेगा ये भी राजा ज्ञानेंद्र ने ही तय किया था। कुल मिलाकर नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की इस मुहिम के पीछे वन मैन हीरो दुर्गा प्रसाई हैं जो देश में राजशाही और हिन्दू राष्ट्र की पुरजोर वकालत कर रहे हैं।