विश्वव्यापी मानव समुदाय, धर्म,संस्कृति और परंपरा के कल्याण हेतु यह महायज्ञ बेहद जरूरी जरूरी – माधव नेपाल पाल्पा 

सिद्धार्थ नगर पालिका वार्ड नंबर 06 किशोरपुर में स्थित ख्याति प्राप्त दुर्गा मंदिर में श्रीमद्भागवत महापुराण तथा शतचंडी ज्ञान महायज्ञ 2082 का हो रहा है भव्य आयोजन 

मनोज कुमार त्रिपाठी 

भैरहवा नेपाल! भारतीय सीमा से सटे नेपाल के रूपंदेही जिले में स्थित सिद्धार्थ नगर पालिका वार्ड नंबर 06 में स्थित ख्याति प्राप्त दुर्गा मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत पुराण तथा शतचंडी ज्ञान महायज्ञ 2082 का भव्य आयोजन चल रहा है। इस ज्ञान महायज्ञ में प्रमुख वाचक दीनबंधु पोखरेल के साथ,यज्ञ संकल्पकर्ता रमेश पौड़ेल,उपवाचक निशांत अधिकारी, अध्यक्ष सनातनी युवा मंच प्रेम सुजन शास्त्री,भुवन घिमिरे, गोपाल बस्याल, प्रेम धिताल, केशव पौड़ेल, अर्जुन पांडे,सुजल न्योपाने, माधव अधिकारी, व्यवस्थापक अर्जुन भुषाल,समीर पांडे मौजूद हैं।

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बता दें कि नेपाल को ऋषियों-मुनियों की तपोभूमि,देवभूमि और योग साधना की भूमि से जाना जाता है। यहां विभिन्न तीर्थ स्थल,मठ, मंदिर,गुंबा,गुफा के अलावा पूर्व काल से धार्मिक, संस्कृति और राष्ट्रीयता का केंद्र बिंदु माना जाता है। ईश्वर की कृपा अनुरूप राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय रूप में ख्याति प्राप्त कथा वाचक वाचन प्रवीण पंडित दीनबंधु पोखरेल द्वारा किया जा रहा है।

श्रीमद् भागवत कथा और चंडी महायज्ञ दो अलग-अलग धार्मिक अनुष्ठान हैं जो हिंदू धर्म में प्रचलित हैं। श्रीमद् भागवत कथा एक दिव्य ग्रंथ है जो भगवान कृष्ण के जीवन और लीलाओं, साथ ही भक्ति और ज्ञान के महत्व पर आधारित है। शतचंडी महायज्ञ देवी दुर्गा की पूजा के लिए किया जाने वाला एक अनुष्ठान है, जिसमें मंत्रोच्चार, हवन और अन्य धार्मिक क्रियाएं शामिल होती हैं।

श्रीमद् भागवत कथा एक पुराण है जो भगवान कृष्ण की लीलाओं और शिक्षाओं को बताता है। यह कथा भक्ति, ज्ञान, और वैराग्य के महत्व पर जोर देती है। कथा व्यास शुकदेव द्वारा सुनाई जाती है। यह कथा सात दिन में संपन्न की जाती है।

शतचंडी महायज्ञ देवी दुर्गा की पूजा के लिए किया जाता है। यह यज्ञ मंत्रोच्चार, हवन, और अन्य धार्मिक क्रियाओं के साथ किया जाता है।

शतचंडी महायज्ञ में देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। शतचंडी महायज्ञ को कई दिनों तक आयोजित किया जा सकता है, जैसे कि के अनुसार एक शतचंडी महायज्ञ 10 दिनों तक चलता है।

श्रीमद् भागवत कथा और शतचंडी महायज्ञ दोनों ही हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण हैं और वे दोनों ही भक्तों को देवी-देवताओं के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण व्यक्त करने का अवसर प्रदान करते हैं। श्रीमद् भागवत कथा भक्ति और ज्ञान का स्रोत है, जबकि शतचंडी महायज्ञ देवी दुर्गा की पूजा का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।

शतचंडी महायज्ञ एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जिसमें देवी चंडी, जो शक्ति का रूप है, की पूजा की जाती है। यह यज्ञ विभिन्न प्रकार के लाभों के लिए किया जाता है, जैसे कि आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करना, समस्याओं को दूर करना और जीवन में सफलता प्राप्त करना।

यह यज्ञ देवी दुर्गा को समर्पित है, जो शक्ति, ऊर्जा और साहस का प्रतीक है। यज्ञ के माध्यम से, व्यक्ति आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त कर सकता है और अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान सकता है। शतचंडी महायज्ञ में देवी चंडी की कृपा से व्यक्ति को विभिन्न समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। शतचंडी महायज्ञ में देवी चंडी की कृपा से व्यक्ति को विभिन्न समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है। यह यज्ञ व्यक्ति को जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने में मदद करता है। शतचंडी महायज्ञ के बाद, व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा और शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। इस यज्ञ से व्यक्ति का अहंकार नष्ट होता है और उसे जीवन में आंतरिक शक्ति मिलती है।

इस यज्ञ में गणेशजी, भगवान शिव, नव ग्रह और नव दुर्गा (देवी) को भी समर्पित किया जाता है। वेदों के अनुसार, शतचंडी महायज्ञ के बाद आपके दुश्मन आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं।

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