आयोजनकर्ता राष्ट्र,राष्ट्रीयता, धर्म, संस्कृति और नागरिक बचाओ महाअभियान समिति नेपाल
मनोज कुमार त्रिपाठी
काठमांडू! नेपाल में चल रहे भ्रष्टाचार और कुशासन के विरुद्ध आगामी 17 गते दिन शनिवार को पर्यटकीय शहर पोखरा में राष्ट्र,राष्ट्रीयता,धर्म, संस्कृति और नागरिक बचाओ महाअभियान के तहत विशाल जनसभा “पोखरा चलो”का आयोजन होने जा रहा है। जिसमें लाखों लोगों के शामिल होने की संभावना जताई गई है।
बता दें कि पिछले दिनों काठमांडू के कोटेश्वर में दुर्गा प्रसाई समर्थकों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया था। कार्यकर्ता और मेडिकल व्यवसायी दुर्गा प्रसाई के समूह ने कोटेश्वर में यह प्रदर्शन आयोजित किया था।
प्रसाई साइबर अपराध के मामले में पुलिस हिरासत में होने के कारण यह आंदोलन प्रभावशाली नहीं हो सका था। पिछले वर्ष, इसी दिन, दुर्गा प्रसाई समूह ने गणतंत्र को खत्म करने की घोषणा करते हुए सड़क पर जोरदार आंदोलन किया था। उसी दिन, जब एमाले (नेकपा–एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) ने तीनकुने में एक सभा आयोजित की थी, दुर्गा प्रसाई समूह ने बल्खु में प्रदर्शन और सभा की थी।
हालांकि, उस समय प्रसाई के पुलिस हिरासत में होने के कारण प्रदर्शन उतना प्रभावी नहीं हो सका था। फिर भी, यह प्रदर्शन सामान्य रूप से हुआ और इसमें कई लोग स्वेच्छा से शामिल हुए।
कार्यकर्ता रमा सिंह ने बताया कि उन्होंने पहले से तय की गई प्रदर्शन की तारीख का पालन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाई के हिरासत में होने के कारण इस बार का प्रदर्शन पहले की तरह प्रभावशाली नहीं हो सका।

पिछले वर्ष क्या हुआ था?
पिछले वर्ष, 7 दिसंबर को, काठमांडू घाटी में हिंसा भड़कने और जनहानि की आशंका बनी हुई थी। एक ओर एमाले था और दूसरी ओर मेडिकल व्यवसायी दुर्गा प्रसाई। एमाले की अगुवाई युथ फोर्स के पूर्व अध्यक्ष महेश बस्नेत कर रहे थे।
युथ फोर्स का नाम बदलकर अब राष्ट्रीय युवा संघ रखा गया है। वहीं, दुर्गा प्रसाई के नेतृत्व को राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) का भी समर्थन प्राप्त था।
महेश बस्नेत का मानना था कि बिना संघर्ष गणतंत्र कायम नहीं रह सकता, जबकि दुर्गा प्रसाई यह कहते थे कि शीर्ष राजनीतिक दल देश के लिए घातक हैं और गणतंत्र को समाप्त कर राजतंत्र वापस लाना चाहिए। प्रसाई के इस विचार के कारण राप्रपा को भी उनके अभियान का समर्थन करना पड़ा।
तब स्थिति तनावपूर्ण थी, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने स्थिति को नियंत्रण में रखा। हालांकि, दौरासुरुवाल (नेपाली पारंपरिक पोशाक) पहनने वालों को सुरक्षाकर्मियों द्वारा अपमानित किया गया, क्योंकि उन्हें राजतंत्र समर्थक समझा गया। जबकि दौरासुरुवाल नेपाल की राष्ट्रीय पोशाक है, जिसे सुरक्षा बल भूल गए थे।
इस बार पिछले साल जैसी अप्रिय घटना होने की संभावना नहीं है।
उन्होंने पिछले साल शुरू किए गए अपने अभियान को बरकरार रखा है और उनके एजेंडे में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वे एमाले की राजनीति छोड़कर राजतंत्र बहाली के आंदोलन में सक्रिय हो गए हैं।
दुर्गा प्रसाई पहले एमाले के केंद्रीय सदस्य थे। वे तब सुर्खियों में आए जब उन्होंने एमाले अध्यक्ष केपी शर्मा ओली और माओवादी केंद्र के अध्यक्ष पुष्पकमल दहाल ‘प्रचंड’ को मार्सी चावल का भोजन कराकर चर्चा बटोरी थी।
इसीलिए, उन्होंने पिछले वर्ष 7 दिसंबर को काठमांडू से गणतंत्र और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। उनके ‘राष्ट्र, राष्ट्रीयता, धर्म, संस्कृति और नागरिक बचाव’ अभियान के तहत ‘बृहत नागरिक मुक्ति आंदोलन’ के नाम से 7 दिसंबर को काठमांडू में शक्ति प्रदर्शन किया गया था। उसी वार्षिक कार्यक्रम की निरंतरता में आगामी 17 गते को पोखरा में विशाल जनसभा का आयोजन होने जा रहा है।