दीपक बोहरा ने बिना बोले ही चुनाव जीता, बोलने से पहले ही दुनिया छोड़ दी

उमेश चन्द्र त्रिपाठी 

काठमांडू ! नेपाल की राजनीति में पिछले चार दशकों से सक्रिय रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (राप्रपा) के वरिष्ठ नेता दीपक बोहरा का इलाज के दौरान मंगलवार को निधन हो गया।

कोरोना महामारी के दौरान गंभीर रूप से बीमार हुए बोहरा गले की समस्या से पीड़ित थे। राप्रपा नेता मोहन श्रेष्ठ ने जानकारी दी कि उनका इलाज काठमांडू के ओम अस्पताल में चल रहा था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।

बीते संसदीय चुनाव में बिना बोले चुनाव जीता

नेपाल की राजनीति में बोहरा हमेशा प्रभावशाली रहे। वे पंचायत काल से लेकर गणतंत्र तक 09 बार केंद्र में मंत्री बने।

हाल ही में हुए प्रतिनिधि सभा चुनाव में उन्होंने रूपंदेही क्षेत्र नंबर 3 से कांग्रेस के प्रभावशाली नेता और तत्कालीन गृहमंत्री बालकृष्ण खांड़ को हराकर जीत हासिल की थी। चूंकि कोरोना के कारण उन्हें गले की गंभीर समस्या थी, इसलिए वे बोलने में असमर्थ थे। इस वजह से उनका बिना भाषण दिए चुनाव जीतना चर्चा का विषय बन गया था।

गले की समस्या के कारण डॉक्टरों ने उन्हें ‘वॉइस रेस्ट’ की सलाह दी थी, जिससे वे कभी सार्वजनिक रूप से भाषण नहीं दे पाए। राप्रपा नेता श्रेष्ठ के अनुसार, कोरोना के बाद वे ‘पोस्ट-कोविड’ लक्षणों से पीड़ित थे, जिसने उनकी आवाज को स्थायी रूप से प्रभावित किया।

चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने डॉक्टरों की सलाह के अनुसार बिना बोले ही घर-घर जाकर प्रचार किया। आम सभाओं में वे उपस्थित रहते थे, लेकिन भाषण नहीं देते थे। वे इशारों और संकेतों के माध्यम से मतदाताओं के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराते थे।

उनके लिखित भाषण चुनाव प्रचार के दौरान निरंजन थापा और प्रदीप उदय पढ़कर सुनाते थे। इसके अलावा, स्वाती थापा, केन्द्रीय सदस्य तोयनाथ लम्साल, पूर्व मेयर सागर प्रताप राणा और युवराज घिमिरे भी उनके भाषणों में सहयोग करते थे। सांसद बनने के बाद वे संसद की बैठकों में उपस्थित रहते थे, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के कारण हाल के महीनों में वे कम सक्रिय थे।

राजनीतिक यात्रा

दीपक बोहरा ने 2036 में रूपंदेही से राष्ट्रीय पंचायत सदस्य के रूप में राजनीति में प्रवेश किया था और 2042 में पुनः राष्ट्रीय पंचायत सदस्य बने।

2070 के संविधान सभा चुनाव में उन्होंने रूपंदेही क्षेत्र नंबर 2 से कांग्रेस के राम कृष्ण ताम्राकार को हराकर जीत हासिल की थी। हालांकि, 2064 के संविधान सभा चुनाव में वे माओवादी केंद्र के घनश्याम यादव से हार गए थे।

मंत्री के रूप में भूमिका

बोहरा ने पंचायत काल से लेकर गणतांत्रिक शासन तक 09 बार मंत्री पद संभाला। 2038 में वे पर्यटन राज्य मंत्री और पर्यटन सहायक मंत्री बने। इसके बाद 2040 में पर्यटन राज्य मंत्री, 2043 में निर्माण एवं यातायात राज्य मंत्री और 2044 में निर्माण एवं यातायात मंत्री बने।

गणतंत्र के बाद भी वे चार बार मंत्री बने। 2067 में वन एवं भू-संरक्षण मंत्री, 2072 में श्रम एवं रोजगार मंत्री, 2073 में आपूर्ति मंत्री और 2074 में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्यरत रहे।

व्यक्तिगत जीवन

दीपक बोहरा सिद्धार्थनगर नगर पालिका-3, खजहाना निवासी थे। उनका जन्म 18 चैत 2007 में पाल्पा में हुआ था। उनके पिता प्रतिमान चंद्र और माता नीमा बोहरा थीं। उन्होंने राजनीति विज्ञान में स्नातक किया था।

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