पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह की ललकार 

हमारे बलिदान को कमजोरी न समझें राजनीतिक दल 

उमेश चन्द्र त्रिपाठी 

काठमांडू नेपाल! नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि देश की आम जनता के हित में उन्होंने अपना पद और राजसी सुविधाएं त्याग दीं, लेकिन इसे उनकी कमजोरी न समझा जाए। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को आगाह करते हुए कहा कि नेपाल की उन्नति के लिए राजगद्दी छोड़ी न कि किसी दबाव में।

प्रजातंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर शुभकामना संदेश जारी करते हुए पूर्व राजा ने कहा कि व्यवस्था बदलने के बावजूद नागरिकों की स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हुआ है। उन्होंने वर्तमान शासन व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए इसे “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया।

ज्ञानेन्द्र शाह ने जनता से अपील करते हुए कहा कि राष्ट्र की एकता और संरक्षण के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनता और राजा ने मिलकर नेपाल में प्रजातंत्र को मजबूत किया था और इसे आगे भी सशक्त और समावेशी बनाना जरूरी है।

पूर्व राजा ने यह भी कहा कि सिर्फ सत्ता के लिए किए जाने वाले स्वार्थ, अहंकार और हठ प्रजातंत्र को कमजोर बना सकते हैं। उन्होंने राजनीतिक दलों को नसीहत दी कि वे देशहित को प्राथमिकता दें और जनता की भलाई के लिए कार्य करें।

नेपाल में हर वर्ष 19 फरवरी को प्रजातंत्र दिवस मनाया जाता है, जिसे लेकर यह बयान महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ज्ञानेन्द्र शाह के इस बयान के बाद नेपाल में राजनीतिक हलचल तेज हो सकती है।

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