आतंकवाद के खिलाफ भारत चलाए कड़ा अभियान,पूरी दुनिया दे भारत का साथ- पूज्य स्वामी श्री कैलाश नंद गिरि जी निरंजन पीठाधीश्वर श्री 1008 महामंडलेश्वर 

पहलगाम के खून के छींटें नेपाल तक

नेपाल को है पाकिस्तान के साथ कुछ बड़ा होने की उम्मीद

उमेश चन्द्र त्रिपाठी/मनोज कुमार त्रिपाठी 

नई दिल्ली काठमांडू भैरहवा! पहलगाम की घटना से नेपाल में भी गम और गुस्से का माहौल है। तमाम कारणों से नेपाल की मौजूदा हुकूमत की भारत से नाइत्तफाकी के बावजूद वह चाहता है कि इस बार भारत की ओर से पाकिस्तान के साथ कुछ बड़ा हो। इस वजह से नहीं कि पहलगाम में उसके भी एक नागरिक सुदीप न्योपाने की हत्या हुई, बल्कि इस वजह से कि नेपाल भी एक टूरिस्ट कंट्री है और उसे इस बात का भय सताने लगा है कि कहीं पाक आतंकियों का रुख इधर हो गया तो वह बर्बाद हो जाएगा। टूरिस्टों ने आना जाना बंद कर दिया तो वहां का व्यापार डूब जाएगा और भुखमरी की नौबत आ जाएगी। भारतीय टूरिस्टों का बड़ा हब नेपाल की खूबसूरत वादियां भी है।

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पहलगाम आतंकी हमले को लेकर निरंजन पीठाधीश्वर श्री 1008 आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी कैलाश नंद गिरि ने आज भैरहवा में होटल रेडसन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उक्त बातें कही। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से अपील की कि आतंकियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकियों की कोई जाति और धर्म नहीं होती ऐसे इस लड़ाई में पूरी दुनिया को भारत का साथ देना चाहिए।

इससे पहले आचार्य स्वामी श्री कैलाश नंद गिरि जी पोखरा से चल कर भैरहवा स्थित गौतमबुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। 

बता दें कि आचार्य स्वामी श्री कैलाश नंद गिरि जी नेपाल के दो दिवसीय धार्मिक दौरे पर हैं और भैरहवा के होटल रेडसन में ठहरे हुए हैं। रविवार को उनका भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी जाने का कार्यक्रम भी है। 

भैरहवा स्थित गौतमबुद्ध अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आज स्वागत करने वालों में रूपंदेही जिले के प्रमुख जिलाधिकारी बासुदेव घिमिरे, सशस्त्र प्रहरी बल के भेखराज जोशी, डीएसपी सूरज कार्की, पूर्व गृहमंत्री बालकृष्ण खांड़, प्रतिनिधि सभा सदस्य मंजू खांड़, लुंबिनी प्रदेश सरकार के आर्थिक मंत्री धनेंद्र कार्की,पूर्व सांसद प्रमोद यादव, तिलोत्तमा नगरपालिका के मेयर रामकृष्ण खांड़, विधायक देवी प्रसाद चौधरी, विशाल चौधरी, नेपाल उद्योग वाणिज्य संघ रूपंदेही जिले के अध्यक्ष राजेश कुमार अग्रवाल, उद्योगी चुन्नू प्रसाद पौड़ेल,होटल व्यवसाई किशोर जोशी,राम प्रसाद कोइरी, देवराज न्योपाने समेत बड़ी संख्या में उनके अनुयाई, विभिन्न दलों के नेतागण और गणमान्य नागरिक मौजूद रहे। 

वहीं दूसरी तरफ नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री डाक्टर बाबू राम भट्टाराई ने दिल्ली में खुले शब्दों में कहा कि पहलगाम घटना के खिलाफ भारत जो भी कार्रवाई करेगा, नेपाल उसके साथ खड़ा है। यह केवल एक पूर्व प्रधानमंत्री की अभिव्यक्ति नहीं है। इसे नेपाल की मंशा माना जाना चाहिए। भारत में नेपाल के राजदूत रहे दीप कुमार उपाध्याय ने कहा पाकिस्तान भारत सरकार की दरियादिली को कमजोरी समझने की भूल न करें।

1971 में भारत द्वारा दिया गया घाव उसे भूलना नहीं चाहिए। आज भारत में उस वक्त से मजबूत सरकार है।

एमाले सांसद मंगल प्रसाद गुप्ता ने कहा कि पहलगाम पर अटैक कर पाकिस्तान अपने वजूद की समाप्ति के लिए भारत को उकसा रहा है। नेपाली कांग्रेस के पूर्व सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने कहा कि पाकिस्तान खुलकर सामने न आकर भाड़े के टट्टुओं से निर्दोषों की हत्या करवाकर बड़ी भूल कर रहा है। उसे पहलगाम की घटना की बड़ी कीमत चुकानी होगी।

राष्ट्र राष्ट्रीयता धर्म संस्कृति और नागरिक बचाओ महाअभियान के प्रवक्ता माधव कल्पित ने पहलगाम घटना की कड़ी शब्दों में निंदा की है और कहा है कि निर्दोषों का कत्ल कर पाकिस्तान अपनी तबाही की इबारत लिख रहा है। उम्मीद जताई कि आने वाले कुछ ही दिनों में उसे इसकी कल्पना से भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।

विश्व हिन्दू महासंघ नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती अस्मिता भंडारी ने कहा है कि आतंकियों का कृत्य हृदय विदारक है। भारत सरकार इन्हें और इनके आकाओं को कड़ी से कड़ी सजा दे। पूरी दुनिया के देशों को पाकिस्तान को आतंकी देश तुरंत घोषित करना चाहिए। बुटवल के सुदीप न्योपाने की आतंकियों द्वारा की गई निर्मम हत्या से समूचे नेपाल में आक्रोश है। पूरा नेपाल उनके परिवार के साथ खड़ा है और अपनी शोक संवेदना व्यक्त करता है।

राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के केंद्रीय सदस्य दीपक राजौरिया ने कहा कि पहलगाम में धर्म पूछकर हंसते खेलते पर्यटकों को निशाना बनाना पाकिस्तान की क्रूरता की पराकाष्ठा है।

नेपाल जनता पार्टी के अध्यक्ष पूर्व मंत्री हृदयेश त्रिपाठी और महासचिव पूर्व मंत्री ईश्वर दयाल मिश्रा ने कहा कि पाकिस्तान को अब आतंकी देश घोषित करने का वक्त आ गया है। उसके प्रोडक्ट का बहिष्कार कर उसे आर्थिक रूप से कमजोर करने की जरूरत है। दोनों नेताओं ने कहा कि हो सकता है पाक द्वारा भारत पर हमला किसी को अच्छा लगता हो लेकिन वह यह न भूलें कि अगला नंबर उसका भी हो सकता है।

हृदयेश त्रिपाठी ने कहा कि भारत को नरेंद्र मोदी के रूप में ऐसा प्रधानमंत्री मिला है जो वसुधैव कुटुंबकम् की नीति पर चलकर सर्व धर्म समभाव की बात करता है, स्वयं पाकिस्तान जाकर वहां के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जन्मदिन की मुबारकबाद देता है और बदले में पाकिस्तान कभी पुलवामा तो कभी पठान कोट और कभी पहलगाम जैसी दर्दनाक घटनाएं देता है।

उन्होंने कहा पाकिस्तान के लिए यह अच्छा अवसर था जब वह भारत से पुराने बैर भाव भुलाकर मधुर संबंध स्थापित कर सकता था लेकिन कहावत है की कुत्ते की

पूंछ कहां सीधी होती है।उन्होंने कहा हम सब उम्मीद करते हैं कि इस बार उसे जरूर ऐसी सजा मिले कि उसकी पीढ़ियां याद करें। 

पहलगाम में मारे गए 27 निर्दोषों के खून के छींटें नेपाल तक भी पहुंचा है। बुटवल के युवा व्यवसाई सुदीप न्योपाने अपनी बहन बहनोई और मां के साथ पहलगाम घूमने गए थे। सुदीप वहां आतंकियों की गोली का शिकार हो गए। जिस रोज परिजनों द्वारा उनका शव नेपाल लाया गया उस रोज नेपाल बार्डर पर हजारों नेपाली लोग इकट्ठा थे। सबके सब पाकिस्तान मुर्दाबाद का नारा लगा रहे थे। और सभी ने एक स्वर से मांग की थी भारत पाकिस्तान को कड़ी सबक सिखाए, पूरा नेपाल उसके साथ है।

पहलगाम की घटना के बाद नेपाल का गुस्सा इसलिए मायने रखता है क्योंकि नेपाल की धरती का इस्तेमाल पाक खूफिया और आतंकी संगठन करते रहते हैं। किसी जमाने में जाली भारतीय मुद्रा के भंडारण का बड़ा केंद्र काठमांडू हुआ करता था जहां से उसके एजेंट नेपाल सीमा से सटे भारतीय बाजारों तक पहुंचाते थे। 1999 में काठमांडू से ही आतंकियों द्वारा भारतियों से भरी जहाज का अपहरण कर कंधार ले जाया गया था। इसके अलावा पाकिस्तान से जुड़े कई सारे आतंकी नेपाल सीमा पर ही पकड़े गए।

मुंबई ब्लास्ट का आरोपी याकूब मेमन काठमांडू में ही रहा। कराची में शरण लिए दाउद इब्राहिम का अभी भी यहां बड़ा नेटवर्क है।

दरअसल पहलगाम की घटना से नेपाल की चिंता अपना प्रयटन उद्योग बचाने की है। नेपाल के कुल आर्थिक स्रोत का बड़ा हिस्सा प्रयटन उद्योग से हासिल होता है और टूरिस्टों में भी बाकी देशों के मुकाबले भारत की बड़ी भागीदारी होती है। यहां टूरिस्टों के सुरक्षा के बेहतर इंतजाम भी नहीं रहते और न ही खूफिया पहरा होता है। 

पहलगाम की घटना से नेपाल का डर इस बात को लेकर है कि कहीं नेपाल की धरती पर भारतीय पर्यटकों को निशाना बनाया गया तो उसकी तो कमर ही टूट जाएगी। चूंकि पाकिस्तान का आपराधिक दिमाग कहीं भी कुछ भी कर सकता है। वक्त आ गया जब इसका फन उठने के पहले ही कुचल दिया जाय!

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