काठमांडू में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के भव्य स्वागत की तैयारी
ओली, प्रचंड और देउबा ने राजतंत्र वापस लाने का किया कड़ा विरोध
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
काठमांडू नेपाल! नेपाल की लोकतांत्रिक सरकार को राजा वादियों से कड़ी टक्कर मिल रही है। 2008 में नेपाल में राजशाही के खात्मे के बाद नेपाल में चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ जिसका पहली बार नेतृत्व करने का मौका प्रचंड को प्राप्त हुआ। हालांकि प्रचंड की सरकार अल्पमत की थी। नौ महीने बाद ही उन्होंने सत्ता छोड़ दी थी। उसके बाद अब तक चार आम चुनावों में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। लिहाजा गठबंधन की सरकारें आती-जाती रहीं। ऐसी बेमेल गठबंधन वाली सरकारों से नेपाल का भला नहीं हुआ। नेपाल में बड़े पैमाने पर महंगाई,भ्रष्टाचार, लूट-खसोट, तस्करी और युवाओं का देश से पलायन होना आम बात हो गया।लोकतांत्रिक सरकारों की आपसी खींचतान से जनता अब परी तरह ऊब चुकी है। नतीजा लोगों का झुकाव राजशाही और राजतंत्र के प्रति बढ़ने लगा।
शीर्ष नेताओं ने किया विरोध
नेपाल में राजावादी समर्थकों की सक्रियता के बीच नेपाली कांग्रेस, नेकपा एमाले और नेकपा माओवादी केंद्र के शीर्ष नेताओं ने एक स्वर में इसका विरोध किया है। प्रधानमंत्री एवं एमाले अध्यक्ष केपी शर्मा ओली, कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउवा और माओवादी अध्यक्ष पुष्प कमल दहाल ‘प्रचंड’ ने राजतंत्र को सख्त शब्दों में खारिज कर दिया। राजतंत्र के खिलाफ सभी नेताओं ने एक स्वर से कहा कि नेपाली जनता ने जिस राजतंत्र को फेंक दिया था, उसे फिर से कैसे वापस लाने की बात की जा रही है?
अब होने लगी है राजशाही और हिन्दू राष्ट्र की चर्चा
नेपाल में अभी भी हिंदू राष्ट्र के समर्थकों की संख्या अच्छी खासी है और ये भारत के यूपी में सक्रिय हिंदूवादी संगठन तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रभावित रहते हैं। ये लोग नेपाल की राजावादी पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के बैनर तले हिंदू राष्ट्र की मांग करते रहते हैं। पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र भी अपने समर्थकों की बढ़ रही संख्या से उत्साहित होकर फिर सिंहासन का सपना देखने लगे हैं। 19 फरवरी को प्रजातंत्र दिवस के अवसर पर उनका बयान काबिले गौर है जब उन्होंने कहा था कि उन्होंने देशहित में राजगद्दी छोड़ी थी, लेकिन अब देश के इतिहास को मिटाया जा रहा है।
ज्ञानेन्द्र के इस बयान के बाद, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने देशभर में राजतंत्र के समर्थन में रैलियां की। ज्ञानेंद्र अभी नेपाल भ्रमण पर हैं। इस बीच उन्होंने यूपी के तीर्थस्थलों का भी भ्रमण किया। ज्ञानेंद्र के आज पोखरा से काठमांडू लौटने का कार्यक्रम है। इस बीच उनके स्वागत के लिए विशेष तैयारियां की जा रही हैं। हिंदू राष्ट्र की मांग और राजा लाओ देश बचाओ जैसे बैनर से काठमांडू घाटी पूरी तरह से पट गया है। सूत्रों की मानें तो आज लाखों की संख्या में काठमांडू में जुटे राजावादी समर्थकों की मंशा नारायण हिती दरबार (पूर्व नरेश का राजदरबार के कब्जा करने की है। हालांकि इसे देखते हुए काठमांडू स्थित राजदरबार मार्ग पूरी तरह से सेना के हवाले कर दिया गया है और पूरी घाटी में चप्पे-चप्पे पर पुलिस और सशस्त्र प्रहरी बल के जवान तैनात किए गए हैं।