उत्तर प्रदेश सरकार का कृत्य निंदनीय – नीरज तिवारी उर्फ नीरज बाबा भाजपा नेता सीवान बिहार
विनय शंकर तिवारी की गिरफ्तारी एक सुनियोजित साजिश – वीरेंद्र कुमार धवल भैरहवा नेपाल
बम-बम शंकर जय हरिशंकर और संघर्ष करेंगे जीतेंगे के नारों से गूंज उठा हाता
पंडित हरिशंकर तिवारी का केंद्र से लेकर उत्तर प्रदेश की 5 सरकारों में था रुतबा, 22 साल तक जीते चुनाव, पांच बार रहे कैबिनेट मंत्री,पूर्वांचल में चलता था सिक्का

गोरखपुर में ईडी ने किया था गिरफ्तार, हरिशंकर तिवारी के अधिवक्ता ने लगाए गंभीर आरोप
मनोज कुमार त्रिपाठी
लखनऊ गोरखपुर महराजगंज ! उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी की ईडी द्वारा 750 करोड़ रुपए के घोटाले में की गई गिरफ्तारी इन दिनों व्यापक चर्चा में है। इससे कहीं ज्यादा चर्चा उनके पिता और प्रदेश सरकार के पांच मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री रहे बाहुबली नेता पंडित हरिशंकर तिवारी की भी हो रही है।

हरिशंकर तिवारी के समर्थक और विरोधी दोनों इस बात को मजबूती से कहते हैं कि बाहुबली की छवि, कई बड़े आपराधिक मामलों में आरोपी रहने के बावजूद हरिशंकर तिवारी को सिर्फ दो बार जेल हुई थी। सन् 1985 में जब वह पहली बार विधायक बने तो जेल की सलाखों में थे। दूसरी बार गैंगस्टर की कार्रवाई में 1987 में मात्र 48 घंटे ही जेल में रहे। इसके बाद वह कभी जेल नहीं गए।
हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे का बयान
हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे पूर्व सांसद भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी ने कहा कि विनय शंकर कि गिरफ्तारी सरकार के दबाव में कराई गई है। ईडी की छापेमारी में मेरे एक कागज का टुकड़ा भी नहीं मिला। मामला न्यायालय में विचाराधीन है ऐसे में छापेमारी और गिरफ्तारी दोनों कानून सम्मत नहीं है।
गोरखपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता ने मधुसूदन त्रिपाठी ने लगाए आरोप
हरिशंकर तिवारी के अधिवक्ता जो उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के अध्यक्ष रह चुके मधुसूदन त्रिपाठी कहते हैं कि 23 अपराधिक मामले हरिशंकर तिवारी के खिलाफ दर्ज थे। इसमें एक-एक मामले में उन्होंने हरिशंकर तिवारी को साक्ष्य के अभाव में बाईज्जत बरी कराया था। वह अधिवक्ता होने के साथ-साथ उनके पारिवारिक मित्र थे। हर सुख-दुख साझा करते थे, लेकिन आज जब उनके बेटे को ईडी ने गिरफ्तार किया है, तो यह देखकर मुझे भी बेहद कष्ट है ऐसा इसलिए क्योंकि जो मामला कोर्ट में है, उसमें बिना किसी आदेश के विनय शंकर तिवारी की ईडी द्वारा गिरफ्तारी पूरी तरह से गलत है गलत है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के शहर में आकर प्रदेश के एक शक्तिशाली नेता के पूर्व विधायक के बेटे के घर छापेमारी, फिर राजधानी लखनऊ से गिरफ्तारी, यह बिना मिली-भगत और इजाजत के संभव नहीं है। मधुसूदन त्रिपाठी ने कहा कि वह इस मामले को देख रहे हैं और जेल में बंद विनय शंकर तिवारी से शीघ्र ही मुलाकात भी करेंगे। वह बहुत जल्द इस मामले में बाहर आएंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी,पीबी नरसिम्हा राव, पंडित अटल बिहारी वाजपेई,बाला साहब ठाकरे, पंडित कमलापति त्रिपाठी, पंडित नारायण दत्त तिवारी,मुलायम सिंह यादव, मायावती, राजनाथ सिंह, मोतीलाल बोरा,जगदम्बिका पाल,राम प्रकाश गुप्ता, कलराज मिश्र,शिव प्रताप शुक्ला, राजीव शुक्ला समेत देश के और कई बड़े नेताओं से पंडित हरिशंकर तिवारी के गहरे संबंध रहे हैं। साल 1999 में पंडित हरिशंकर तिवारी ने पंडित अटल बिहारी वाजपेई से मिलकर उत्तर प्रदेश की बलरामपुर लोकसभा सीट के लिए अपने बड़े बड़े भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी को भाजपा का टिकट दिलाया था। हालांकि वह चुनाव कुशल तिवारी सपा प्रत्याशी रिजवान जहीर से मामूली मतों के अंतर से हार गए थे। बताया जाता है कि पंडित हरिशंकर तिवारी ने राजनीति का ककहरा कलक्टर पंडित सूरत नारायन मणि त्रिपाठी से सीखा था और वो कामयाब भी रहे।
पंडित हरिशंकर तिवारी के 2 बेटे हैं। इनमें बड़े बेटे का नाम भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी है, जो संत कबीर नगर लोकसभा क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं। वहीं, छोटे बेटे विनय शंकर तिवारी ही इनकी राजनीतिक सीट चिल्लूपार से वर्ष 2017 में बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। रेलवे के ठेके में पंडित हरिशंकर तिवारी की बहुत मजबूत पकड़ रही है। इसके अलावा ठेकेदारी के विभिन्न क्षेत्रों में पंडित हरिशंकर तिवारी, उनकी टीम की धमक बनी रही। निर्दलीय विधायक बनने के बाद उन्होंने अपनी राजनीति कांग्रेस पार्टी के साथ लंबे समय तक जारी रखा। कुछ समय के लिए कांग्रेस से नाता टूटा। बाद में उन्होंने लोकतांत्रिक कांग्रेस के नाम से अपनी पार्टी बनाई और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।
गोरखपुर विश्वविद्यालय से लेकर लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति में भी हरिशंकर तिवारी का दखल रहा। उनके तमाम शिष्य इन विश्वविद्यालयों के अध्यक्ष और महामंत्री के रूप में जाने जाते हैं। ब्राह्मणों के नेता के रूप में तिवारी की पहचान थी और यह उनके नाम के साथ भी जुड़ गया। उनका जन्म गोरखपुर जिले के बड़हलगंज कोतवाली क्षेत्र के टांड़ा गांव एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। 80 के दशक में जब गोरखपुर के क्राइम की चर्चा न्यूयार्क तक होती थी, तब वह दौर हरिशंकर तिवारी का था। इन्हे बड़े अपराधियों का पोषक और पालक भी कहा जाता था, लेकिन आपराधिक रिकॉर्ड के मामले में इनके खाते में बहुत बड़े अपराध दर्ज नहीं हुए। राजनीति में इन्होंने जो जलवा अपराध से जोड़ते हुए बिखेरा, उसकी धमक पूरे देश में सुनाई दी।
हरिशंकर तिवारी के सामने बलवंत सिंह गैंग सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ था। दोनों गुटों में अक्सर वर्चस्व कायम करने और ठेका लेने को लेकर झगड़े होते थे। पूर्वांचल की धरती पर राजनीति की एक नई विधा लिखने वाले हरिशंकर तिवारी के हाते पर 7 अप्रैल को जब ईडी की छापेमारी की सूचना मिली तो धर्मशाला स्थित उनके आवास पर समर्थकों की भीड़ जुट गई। तिवारी के समर्थक बिहार के भाजपा नेता नीरज तिवारी उर्फ नीरज बाबा कहते हैं कि वर्ष 1985 के विधानसभा चुनाव में जेल में रहते हुए गोरखपुर की चिल्लूपार सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज करने के बाद वो लगातार 22 वर्ष तक जनता के प्रिय बने रहे। कुछ परिस्थितियां बदलीं, वह भले ही हार गए, लेकिन उनका रुतबा कभी कम नहीं रहा। उन्होंने कहा कि विनय शंकर तिवारी की गिरफ्तारी से बिहार के ब्राह्मण भी उत्तर प्रदेश सरकार से बेहद नाराज हैं। उन्होंने कहा कि विनय शंकर तिवारी जी के उपर कोई भी अपराधिक मुकदमा भी नहीं है। सरकार बदले की भावना से इस तरह की कार्रवाई कर रही है जो निंदनीय है।
सरकार किसी की भी हो, मंत्री बनते थे तिवारी
सरकार किसी की भी हो हरिशंकर का मंत्री बनना तय माना जाता था। वो भाजपा, समाजवादी पार्टी और बसपा के शासन में मंत्री रहे। वर्ष 1996 में कल्याण सिंह की सरकार बनी तो साइंस एंड टेक्नॉलाजी मिनिस्टर बने। वर्ष 2000 में स्टांप रजिस्ट्रेशन मंत्री, 2001 में राजनाथ सरकार हो या 2002 में मायावती सरकार हरिशंकर तिवारी मंत्री बनाए गए। यहां तक समाजवादी पार्टी से दूर-दूर तक राजनीतिक संबंध न होने के बाद भी हरिशंकर तिवारी 2003 में सपा की सरकार बनते ही पाला पलटते हुए मंत्री बन गए। हरिशंकर तिवारी 22 वर्ष तक विधायक रहे।
2007 में उन्हें बसपा प्रत्याशी राजेश त्रिपाठी ने 6,933 वोटों से पहली बार हराया। वर्ष 2012 के चुनाव में भी वो हार गए। इन दोनों हार को देखकर उन्होंने तय किया कि अब वो सक्रिय राजनीति से दूरी बना लेंगे। इसलिए उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत दोनों बेटों को सौंप दी। बड़े बेटे कुशल तिवारी वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा से सांसद बने। हरिशंकर के दूसरे बेटे विनय शंकर तिवारी 2017 में चिल्लूपार सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव जीते। हालांकि 2022 में वो भी हार गए। उनके यही बेटे आज 750 करोड़ रुपए के बैंक घोटाले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए। लोग कह रहे हैं कि उनके रहते उनका कोई समर्थक या चेला भी जेल नहीं जाता था, लेकिन समय ने करवट ली, तो बेटा ही अब जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गया।
तीन साल पहले ईडी ने दर्ज किया था केस
करीब तीन साल पहले यह मामला उजागर हुआ था, जिसमें 750 करोड़ का बैंक लोन और देनदारी को लेकर मामला ईडी के पास दर्ज हुआ। इस मामले में 17 नवंबर 2023 को तिवारी के बेटे और पूर्व बसपा विधायक रहे विनय शंकर तिवारी के यहां ईडी की छापेमारी हुई। तब 73 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त हुई थी। इस मामले के उजागर होने के पीछे चिल्लूपार विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा विधायक राजेश त्रिपाठी की पूर्व में की गई शिकायतों को आधार माना जा रहा है। विनय शंकर तिवारी के 2017 विधानसभा चुनाव में नामांकन में दिए हलफनामे को आधार बनाकर मामले की शिकायत ईडी में की गई थी।
2020 में सीबीआई ने दर्ज किया था मामला
धोखाधड़ी का मामला उजागर होने के बाद 19-20 अक्टूबर 2020 को सीबीआई ने पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और उनकी पत्नी पर 754 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया। सीबीआई ने इस मामले में जो तथ्य पेश किए थे, उसमें कहा था कि बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से शिकायत दर्ज कराई गई है कि गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड के अधिकारियों ने बैंक को 753 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज के सहारे बैंक से लोन लिया और फिर उस पैसे का इस्तेमाल दूसरी जगह किया। इस मामले में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा दिल्ली में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें विनय शंकर तिवारी के अलावा उनकी पत्नी रीता तिवारी और अजीत पांडे को भी नामजद किया गया था।
सीबीआई से ईडी को ट्रांसफर हुआ केस
मामला आर्थिक अपराध का था, इसलिए यह फिर ईडी की जांच में आ गया। इस छापेमारी और गिरफ्तारी पर हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे पूर्व सांसद कुशल तिवारी ने राजनीतिक से प्रेरित कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा कि विरोधी दल की राजनीति करना उनके परिवार के लिए भारी पड़ रही है। इसके लिए उन्हें केंद्रिय एजेंसियों के माध्यम से परेशान किया जा रहा है। हालांकि एजेंसियों के हाथ उनके खिलाफ अभी तक खाली ही हैं।
सपा प्रवक्ता कीर्ति निधि पांडे ने ईडी की कार्रवाई की निंदा की है। कहा कि जब मामला न्यायालय में है, तो बिना न्यायालय की अनुमति के ईडी की कार्रवाई गलत है। सरकार के इशारे पर विपक्षी नेताओं को बदनाम करने की साजिश हो रही है। इस तरह की कार्रवाई से जनता भी अवगत हो चुकी है।
सरकार, विपक्षी नेताओं को चाहे जितना बदनाम और परेशान करे, लेकिन जनता और समाजवादी पार्टी, तिवारी परिवार के साथ खड़ी है।
विनय शंकर तिवारी की गिरफ्तारी को लेकर शुक्रवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय गोरखपुर स्थित पंडित हरिशंकर तिवारी के धर्मशाला स्थित आवास पर पहुंचे और विनय शंकर तिवारी की गिरफ्तारी के बारे में विस्तृत जानकारी ली। इससे पहले अजय राय ने पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय पंडित हरिशंकर तिवारी के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। विनय शंकर तिवारी की गिरफ्तारी को लेकर पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए अजय राय ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी राजनीतिक द्वेष बस की गई है। पंडित हरिशंकर तिवारी का नाम लेकर उन्होंने कहा कि श्री तिवारी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेताओं के रूप में जाने जाते थे। उनकी एक अलग छवि थी। इस दुःख की घड़ी में कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से उनके परिवार के साथ है। साथ ही हम विनय शंकर तिवारी की गिरफ्तारी की घोर भर्त्सना और निंदा करते हैं।