प्रचंड ने पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र को शाही परिवार हत्या कांड की दिलाई याद, पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को सलाह भी दी
सार
नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड ने कहा है कि जनता यह जानती है कि एक जून 2001 में राज महल में हुए नरसंहार का मास्टर माइंड कौन था। प्रचंड ने यह बयान ऐसे समय दिया है जब पूर्व राजा ज्ञानेंद्र समर्थक देश में राजतंत्र वापसी की बात कर रहे हैं।
उमेश चन्द्र त्रिपाठी
काठमांडू! नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड ने कहा है कि नेपाल की जनता यह जानती है कि एक जून 2001 में राज महल में हुए नरसंहार का मास्टरमाइंड कौन था। इस नरसंहार ने नेपाल के तत्कालीन राजा वीरेंद्र वीर विक्रम शाह की उनके परिवार समेत हत्या कर दी गई थी। इस नरसंहार का आरोप राजा के बेटे युवराज दीपेंद्र पर ही लगा था। प्रचंड नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (माओवादी केंद्र) के प्रमुख भी हैं। माओवादी नेताओं के लंबे आंदोलन के बाद नेपाल में राजतंत्र का अंत हुआ था। प्रचंड का यह बयान ऐसे समय आया है जब नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के समर्थक देश में राजतंत्र वापसी की बात कर रहे हैं।
प्रचंड ने यह बात सिंधुपाल चोक जिले में अपनी पार्टी की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि राज महल में हुए नरसंहार में राज परिवार के ही लोग शामिल थे। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर गंभीर आरोप लगाते हुए प्रचंड ने कहा कि किसने अपने भाई को मार डाला? उन्होंने कहा कि शाही परिवार के नरसंहार के पीछे जो व्यक्ति था, वह अब बड़ी-बड़ी बातें कर रहा है।
उन्होंने कहा कि शाही परिवार नरसंहार का मास्टर माइंड कौन था, यह लोग अच्छी तरह जानते हैं। प्रचंड ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र पर सोने की तस्करी और मूर्ति चोरी में शामिल होने का भी आरोप लगाया।
दरअसल एक जून 2001 की देर शाम नेपाल के राजा के निवास स्थान नारायणहिति महल के त्रिभुवन सदन में रानी ऐश्वर्या और युवराज दीपेंद्र समेत किंग वीरेंद्र के पूरे परिवार की रहस्मय तरीके से हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड की जांच करने वाली सरकारी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि तत्कालीन युवराज दीपेंद्र ने खुदकुशी करने से पहले राजा, रानी, भाई और बहन समेत अपने पूरे परिवार की हत्या कर दी थी। उस समय कई लोगों ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया था।
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के काठमांडू आने पर गरमाई सियासत
माओवादी नेता प्रचंड ने यह बयान ऐसे समय दिया है, जब नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह रविवार को कड़ी सुरक्षा के बीच काठमांडू पहुंचे थे। राजधानी में राजशाही समर्थक हजारों लोगों ने उनका भव्य स्वागत किया था। पूर्व राजा को काठमांडू के त्रिभुवन घरेलू हवाई अड्डे से अपने निजी आवास ‘निर्मल निवास’ तक की पांच किमी की दूरी तय करने में करीब ढाई घंटे का समय लगा। इस दौरान सड़क के दोनों किनारे उनके समर्थक खड़े थे। इनमें युवाओं की संख्या अधिक थी। पूर्व राजा का स्वागत करने वालों में राजशाही समर्थक राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सबसे अधिक थे। स्वागत करने वाली भीड़ में शामिल लोग नारा लगा रहे थे,’नारायणहिटी खाली गर, हाम्रो राजा आउंदै छन’ (नारायणहिटी ख़ाली करो, हमारे राजा आ रहे हैं), नारायणहिटी पैलेस पूर्व राजा ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह का पूर्व आवास है। इसे अब संग्रहालय में बदल दिया गया है। पूर्व राजा के समर्थकों ने लोकतंत्र को खत्म करने के समर्थन में भी नारे लगाए थे। इसके बाद से नेपाल में राजतंत्र की वापसी की बहस तेज हो गई है।
अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा कि प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने राजमहल में हुए नरसंहार की जांच के आदेश दिए थे। लेकिन वह जांच पूरी नहीं हो सकी, क्योंकि उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा किया होता तो यह संभव था कि अपने ही भाई की हत्या करने वाले देशद्रोही को दंडित किया जाता। इस अवसर पर प्रचंड ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र को दुस्साहस न दिखाने की चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि हजारों लोगों के बलिदान से स्थापित संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य प्रणाली को 10-15 हजार लोगों को सड़क पर उतारकर नहीं छीना जा सकता है।