आईएसआई एजेंटों, पाकिस्तानी आतंकियों, पेशेवर भगोड़े अपराधियों और कुख्यात तस्करों के लिए सबसे मुफीद जगह है नेपाल 

घुसपैठ के लिए खुली सीमा का उठाते हैं लाभ

उमेश चन्द्र त्रिपाठी 

महराजगंज! हाल के दिनों में जिस तेजी से नेपाल सीमा पर घुसपैठ की घटनाएं बढ़ी है उसे देखते हुए भारत-नेपाल के बीच की लंबी खुली सीमा की चर्चा खौफनाक सरहद के तौर पर होने लगी है। इस खुली सीमा का लाभ सदैव से ही दो तरफा रहा है। मसलन दोनों देशों के पेशेवर अपराधी इसका फायदा उठाते हुए सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देते रहते हैं। ऐसे अवांछनीय तत्वों की गिरफ्तारी को लेकर जब पुलिस सक्रिय होती है तो नेपाल के अपराधी भारत में और भारत के अपराधी नेपाल में छुप जाते हैं। दोनों देशों के सफेदपोश अपराधियों को दोनों ही देशों में राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रहता है। दरअसल यही स्थिति सीमा के सुरक्षा एजेंसियों के लिए बहुत मुश्किल होता है।

हैरान करने वाली बात है कि अभी कुछ रोज पहले ही बब्बर खालसा आतंकी संगठन का एक सदस्य 10 वर्षों बाद मोतिहारी (बिहार) में पकड़ा जाता है जो अपनी शिनाख्त छिपा कर नेपाल में कपड़ा व्यवसाई के रूप में रह रहा था। इस आतंकी को मोतिहारी पुलिस और एनआईए ने सटीक मुखबिरी पर गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। कश्मीर सिंह उर्फ बलवीर सिंह गलबट्टी 2014 में नाभा (पंजाब) पुलिस इंटेलिजेंस मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले का मास्टर माइंड है।

फरारी के बाद वह नेपाल में सुरक्षित ठिकाना तलाश लिया और कपड़ा व्यवसाई के रूप में लुंबिनी से लेकर वीरगंज तक अपना नेटवर्क खड़ा कर लिया। नेपाल में उसके 6-7 बैंक खातों की जानकारी हुई है। सुरक्षा एजेंसियां उसके बैंक खातों की जांच में जुटी हुई है। सुरक्षा एजेंसियों को उसके बैंक खातों से कनाडा से फंडिंग की सूचना है।

नेपाल की खुली सीमा के बावत खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट है कि इस सीमा को कम खतरनाक आंकना भूल होगी। इस सीमा के खतरनाक होने के कारणों में आतंकी संगठनों की आवाजाही, आईएसआई की बढ़ती सक्रियता, नशीले पदार्थों की तस्करी और चोरी छिपे विदेशी नागरिकों की घुसपैठ मुख्य है।

नेपाल सरहद की यह डरावनी तस्वीर दशकों से है लेकिन इधर मात्र दो सप्ताह की घटनाओं पर नजर डालें तो पता चलता है कि इसी अवधि में खालिस्तानी आतंकी सहित अवैध घुसपैठ करते आधा दर्जन विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार करने में सुरक्षा एजेंसियां कामयाब हुई हैं। चौंकाने वाली बात है कि लगभग दो सप्ताह से भारत- नेपाल सीमा पर घुसपैठ की घटनाएं कुछ अधिक हुई है। अहम बात यह है कि इस वक्त नेपाल से भारतीय क्षेत्र में दाखिल होने के लिए यूपी को स्पर्श करने वाली नेपाल सीमा की बनिस्पत बिहार से जुड़ी सीमा का उपयोग बढ़ा है। कुछ दिनों में भारत के रक्सौल सीमा पर पहले 4 चीनी नागरिक, फ्रांसीसी नागरिक और कनाडा के मूल निवासी एक नागरिक को बिना वीजा के गिरफ्तार किया गया।

खलिस्तानी आतंकी बलवीर सिंह गलबट्टी की गिरफ्तारी के कुछ ही दिनों बाद हरप्रीत सिंह नामक कनेडियन नागरिक की गिरफ्तारी के मामले को बार्डर की सुरक्षा एजेंसियां गहनता से जांच पड़ताल में जुट गई हैं।

इसके पहले भी इस रास्ते दर्जन भर चीनी नागरिक अवैध रूप से घुसपैठ करते पकड़े गए हैं। खूफिया सूत्रों का मानना है कि पाकिस्तान से जुड़ी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर सख्ती के बाद आतंकी संगठन नेपाल के रास्ते भारत में घुसपैठ करने के फिराक में हैं। नेपाल में जैश से जुड़े स्लीपर सेल के लगातार मजबूत होने की शंका जाहीर की जा रही है। सीमा पर तैनात खूफिया सूचनाओं की मानें तो भारत-नेपाल की संपूर्ण 1750 किमी की खुली हुई लंबी सीमा भारत के आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन गई है। नेपाल और भारत से लगी यह लंबी सीमा यूपी, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम को स्पर्श करती है।

नेपाल कभी हिंदू राष्ट्र की दृष्टि से देखा जाता रहा है। इसी वजह से भारतीयों की धारणा इस राष्ट्र के प्रति श्रद्धाभाव वाला रहा है। धीरे-धीरे भारत का यह पड़ोसी नन्हा राष्ट्र भारत विरोधी तत्वों का जमावडा बनता गया। नेपाल की राजधानी काठमांडू में भी भारत विरोधियों को राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। हाल ही काठमांडू में पाकिस्तान के सैन्य अफसरों का जमावड़ा खूब चर्चा में रहा।

भारत नेपाल के परागमन संधि के तहत कुल 18 मार्ग ही आवागमन के लिए अधिकृत हैं। इन रास्तों से लोगों को गहन तलाशी के बाद आने जाने दिया जाता है लेकिन इसके अलावा सैकडों ऐसे रास्ते हैं जो जंगल-झाड़ी तथा नदी नालों से होकर गुजरते हैं। ये रास्ते अवांछनीय तत्वों के आवागमन के लिए मुफीद साबित हो रहे हैं वहीं सुरक्षा एजेंसियों के लिए ये मार्ग सुरक्षा की दृष्टि से चुनौती बने रहते हैं।

नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी एनआईए ने काफी पहले शंका जाहिर की थी कि खुली हुई नेपाल सीमा आने वाले दिनों में आतंकी गतिविधियों का बड़ा हब बन सकता है लिहाजा समय रहते इसकी सुरक्षा समय की जरूरत है। 

नेपाल सीमा पर खालिस्तानी एरिया फोर्स का कमांडर सुखबीर सिंह उर्फ राजू खन्ना, दाउद का गुर्गा नूरबख्श उर्फ नूरा, विलाल अहमद बट्ट,खालिद मीर, कुख्यात आतंकी यासीन भटकल, अब्दुल करीम टुंडा, जब्बार, जावेद कमाल, वसीम, बब्बर खालसा का सुखविंदर सिंह, भाग सिंह, अजमेर सिंह तथा मुंबई बम कांड के कुख्यात आतंकी टाइगर मेमन सहित दर्जन भर आतंकी नेपाल सीमा के किसी न किसी स्थान से ही पकड़े गए हैं।

आंतकी संगठनों के लिए भारत तथा नेपाल की खुली सीमा कितनी मुफीद है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कश्मीर से भागे पाकिस्तान के रिफ्यूजी कैंपों में आतंकी ट्रेनिंग ले रहे कश्मीरियों के समक्ष जब पुनर्वास का प्रस्ताव रखा गया तो 90 प्रतिशत कश्मीरियों ने नेपाल सीमा के रास्ते आकर आत्मसमर्पण की इच्छा जताई। गृहमंत्रालय के आंकड़े के अनुसार तीन सौ से अधिक रिफ्यूजी कश्मीरियों ने नेपाल सीमा पर सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष आत्म समर्पण किया जिन्हें जम्मू कश्मीर सरकार को सुपुर्द किया गया। आत्मसर्पण करने वाले कश्मीरियों के लिए अटारी बाघा बार्डर, सलमा बाग, चक द बाग सुरक्षा चौकी या इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा मार्ग ही मुकर्रर किया गया था। बावजूद इसके वे नेपाल सीमा पर आकर ही समर्पण किए। 

नेपाल सीमा पर बढ़ रही अवांछनीय गतिविधियों को देखते हुए नेपाल के एक सांसद ने संपूर्ण नेपाल सीमा पर पाकिस्तान जैसी तारबंदी की मांग की है वहीं नेपाल के पीएम ओली अपने पिछले कार्यकाल में भारत आगमन के वक्त नेपाल सीमा पर सेना जैसी सुरक्षा की मांग कर चुके हैं।

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