पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र पर शिकंजा कसने की तैयारी में है नेपाल सरकार 

पूर्व नरेश की गिरफ्तारी हुई तो और उग्र हो सकता है आंदोलन- सूत्र

YouTube player

नेपाल की 80 फीसदी जनता राजशाही और हिन्दू राष्ट्र के पक्ष में

उमेश चन्द्र त्रिपाठी 

काठमांडू। ओली सरकार शुक्रवार को काठमांडू में राजा वादी समर्थकों के हिंसक आंदोलन का ठीकरा पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के सिर पर फोड़ने की तैयारी में है। सरकार ने इसकी जांच गृह मंत्रालय को सौंप दी है। इस आंदोलन में पूर्व नरेश की जरा भी संलिप्तता पाई गई तो सरकार की तरफ से उन्हें दी जा रही सारी सुविधाएं छिन सकती है।

इसके अलावा ज्ञात हुआ है कि ओली सरकार पूर्व पीएम प्रचंड के उस मांग पर भी विचार कर रही है जिसमें उन्होंने ढाई दशक पूर्व नारायणहिटी राज दरबार नरसंहार की जांच हेतु आयोग गठन की मांग की है।

01 जून 2001 में नेपाल के राजा वीरेंद्र विक्रम शाह देव की पूरे परिवार समेत नारायणहिटी में उस वक्त हत्या कर दी गई थी जब वे सपरिवार साप्ताहिक भोज हेतु एक साथ शाही टेबल पर इकट्ठा थे। इस हत्याकांड के पीछे तब यह चर्चा में आया था कि स्वर्गीय वीरेंद्र के बड़े बेटे दीपेंद्र विक्रम शाह सेना की वर्दी में पहुंचकर एक साथ परिवार के सभी सदस्यों पर ताबड़तोड़ गोलियां दाग कर मौत के घाट उतार दिया। उसके बाद खुद को भी गोली मार ली। इलाज के दौरान दो दिन बाद उनकी भी मौत हो गई। इस घटना के बाद राज्याभिषेक परंपरानुसार स्वर्गीय वीरेंद्र शाह के छोटे भाई ज्ञानेंद्र नेपाल के राजा हुए थे। लेकिन नारायणहिटी राजपरिवार नरसंहार की असलियत का राजफाश होने से रह गया।

 

इधर पूर्व नरेश 77 वर्षीय ज्ञानेंद्र की राजशाही की वापसी हेतु बढ़ी सक्रीयता और क्रमवार उनके समर्थकों के आंदोलन के बीच प्रचंड ने ज्ञानेंद्र पर उक्त चर्चित नरसंहार का दोषी मढ़ते हुए संपूर्ण घटना की जांच हेतु आयोग के गठन की मांग कर दी। प्रचंड के इस बयान के बाद वे न केवल राजा वादी समर्थकों के निशाने पर आ गए, सच पूछिए तो उसके बाद ही नेपाल में जगह जगह राजा समर्थकों का आंदोलन तेज होता गया।

शुक्रवार को भी काठमांडू में राजा समर्थकों ने प्रदर्शन की घोषणा तब की थी जब प्रचंड ने गणतंत्र के समर्थन में बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया था। राजा वादी समर्थकों का शांति पूर्वक प्रदर्शन धरा का धरा रह गया। काठमांडू में आगजनी, पत्थरबाजी सब हुआ जिसमें दो लोगों की मौत और ढेर सारे लोग घायल हुए। काठमांडू में घटित इस घटना का असर वहां के पर्यटन उद्योग पर पड़ना लाजिमी है।

बहरहाल इस घटना की जांच प्रारंभ कर दी गई । सरकार को आशंका है कि इसके पीछे पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह का हाथ हो सकता है। इस जांच के बहाने निसंदेह सरकार की मंशा ज्ञानेंद्र पर शिकंजा कसने की है लेकिन यदि ऐसा होता है तो राजा वादियों का आंदोलन न केवल और उग्र हो सकता है, सुरक्षा व्यवस्था को लेकर ओली सरकार की मुश्किलें भी बढ़ सकती है।

ज्ञानेंद्र यदि दोषी पाए जाते हैं तो उनकी रद हो सकती है ये सुविधाएं

नेपाल सरकार ने हिंसात्मक प्रदर्शन भड़काने के आरोप में पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह की सभी सरकारी सेवाएं और सुविधाएं समाप्त करने तथा उनका पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम दुर्गा प्रसाई के नेतृत्व में शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद उठाया गया है, जिसमें सरकार विरोधी नारेबाजी के साथ सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया।

सरकार का कहना है कि इस घटना की गहन जांच की जा रही है और यदि यह तथ्य सामने आता है कि पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह इस आंदोलन को किसी भी रूप में समर्थन दे रहे थे, तो उनकी सुरक्षा, पेंशन और अन्य विशेषाधिकार समाप्त कर दिए जाएंगे।

गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि नेपाल सरकार देश में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। यदि कोई व्यक्ति या समूह देश की स्थिरता के खिलाफ कार्य करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!