उमेश चन्द्र त्रिपाठी/मनोज कुमार त्रिपाठी
काठमांडू! थाइलैंड में चल रहे बिमस्टेक के छठे शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री खड़क प्रसाद शर्मा ओली (केपी ओली) के बीच हुई मुलाकात की चर्चा काठमांडू के राजनीतीक हल्के में खूब है। खासकर सत्तारूढ़ दल में इस मुलाकात को लेकर उत्साह है। लोग इसे नेपाल के ताजा घटनाओं के बीच जरूरी और सार्थक बता रहे हैं। ओली और मोदी के बीच यह मुलाकात बिमस्टेक सम्मेलन के समापन के बाद हुई। भारतीय और नेपाली पीएम ने अपने-अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर इस मुलाकात की पुष्टि करते हुए इसे बेहद सार्थक और उत्साहवर्धक बताया।
इस समय जब पड़ोसी मित्र नेपाल में कुछ लोग गणतंत्र को समाप्त कर राजशाही और हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे हैं ऐसे समय पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की थाईलैंड में हुए बहुक्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग के लिए हुई यह मुलाकात काफी चर्चा में है। काठमांडू में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थन में हुए उग्र प्रदर्शन को ओली ने भारतीय साजिश बताते हुए अपनी सरकार को गिराने की कोशिश बताया था जबकि भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उसकी किसी दूसरे देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप की नीति नहीं रही है।
बताया जाता है कि दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच बेहद गर्मजोशी से हुई मुलाकात में ऐसी अनावश्यक विषयों पर कोई चर्चा नहीं हुई। केपी शर्मा ओली ने भारत-नेपाल संबंधों की समीक्षा करते हुए भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी, व्यापार और ऊर्जा के क्षेत्र में हुई प्रगति पर संतोष जताया। भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल को भारत की ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया और दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई। विश्व में फैले हुए दो धर्म के लिए भारत और नेपाल हमेशा याद किए जाते हैं।
बताया जाता है कि यहां एक तरफ वैष्णव संप्रदाय के लिए रामाश्रयी शाखा के लोग उत्तर प्रदेश के अयोध्या नगरी को भगवान राम का जन्म स्थली मानते हुए वहां पर जाकर पूजा अर्चना करते हैं वहीं नेपाल के जनकपुर धाम को जो मां सीता की जन्मस्थली है उसकी भी श्रद्धा और सम्मान के साथ पूजा करते हैं। इस प्रकार माता सीता और भगवान राम दोनों के कारण भारत और नेपाल का अटूट संबंध है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
मोदी और ओली की मुलाकात पर नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एमाले) के महासचिव शंकर पोखरेल ने खुशी व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया साइट पर लिखा कि नेपाल और भारत के प्रधानमंत्रियों के बीच हुई बातचीत के बाद उनकी सकारात्मक और उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाएं इस बात का उदाहरण हैं कि दृढ़ निश्चय और अटूट संकल्प के साथ मित्रता को और मजबूत कर आपसी संबंधों को बेहतर बनाया जा सकता है। एमाले सांसद मंगल प्रसाद गुप्ता ने भारत और नेपाल के अनुभवी प्रधानमंत्री की इस मुलाकात को दोनों देशों के मध्य एक अच्छे भविष्य के लिए शुभ संकेत बताया है।