मनोज कुमार त्रिपाठी
भैरहवा, 15 जेठ (नेपाल सम्वत)।
अक्सर कठोर स्वभाव में प्रस्तुत होने वाले जिला ट्रैफिक पुलिस कार्यालय, रूपन्देही की प्रमुख पुलिस निरीक्षक रञ्जु के.सी. गुरुवार को जब पुलिस की वर्दी में वृद्धाश्रम पहुँचीं, तो संतानविहीन और संतान द्वारा उपेक्षित वृद्ध माता-पिता के चेहरों पर मुस्कान ले आईं।
रूपन्देही की सड़कों पर नियम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त फैसले लेने वाली अधिकारी के रूप में जानी जाने वाली के.सी. को बाहर से कठोर दिखने वाला माना जाता है, लेकिन उनके अधीनस्थ पुलिसकर्मी कहते हैं कि उनके व्यवहार में करुणा और ममता छिपी होती है।
अपने कर्तव्य के प्रति हमेशा निष्ठावान रहने वाली पुलिस अधिकारी के.सी. ने जब यह महसूस करने वाले वृद्ध माता-पिता से भैरहवा के सत्यसाई वृद्धाश्रम में एक बेटी की तरह भेंट की, तो उनमें करुणा और मानवता की गहरी भावना दिखाई दी।
गुरुवार सुबह 7 बजे, कार्यालय के कार्यों को निपटाकर जब वे वृद्धाश्रम के मुख्य द्वार में प्रवेश कर रही थीं, तो वहां रहने वाले वृद्ध माता-पिता ने उनका स्वागत आत्मीय संवाद और आशीर्वाद के साथ किया।
अपने वेतन से वृद्धाश्रम में रहने वाले माता-पिता को एक समय का भोजन कराने पहुँचीं के.सी. ने वहीं उनके साथ बैठकर भोजन किया। उनके साथ बिताए गए क्षणों में सेवा और करुणा की भावना झलकती रही, ऐसा वृद्धाश्रम में रहने वाले बुजुर्गों ने बताया।
वृद्धाश्रम की अध्यक्ष माया खडाल ने कहा,
“रञ्जु के.सी. बहिनी जब वृद्धाश्रम आईं, तो ऐसा लगा जैसे खुद राज्य आ गया हो। वे यहां आईं और हमें बहुत खुशी दी, जबकि वे जनता की सेवा में बेहद व्यस्त रहती हैं।”
थके हुए उन आंखों में कुछ खुशी भरने आईं के.सी. ने कुछ मीठे पल साझा किए, ममता बाँटी और ऐसा एहसास कराया कि वे केवल एक पुलिस अधिकारी नहीं, बल्कि एक आदर्श बेटी भी हैं।
हालांकि समय सीमित था, कर्तव्य और जिम्मेदारी ने उन्हें फिर से कार्यक्षेत्र में लौटने को मजबूर किया। लेकिन वृद्धजनों के दिलों में वे एक पुलिस अधिकारी के साथ-साथ एक सेवाभावी और संवेदनशील इंसान के रूप में अमिट स्मृति बनकर रह गईं।
“प्रार्थना करने वाले होंठों से अधिक पवित्र सेवा करने वाले हाथ होते हैं।”
इस वाक्य को चरितार्थ करते हुए, पुलिस निरीक्षक के.सी. ने वृद्धाश्रम में बिताया समय, दिया गया प्यार, भोजन और आत्मीय संवाद के माध्यम से बुजुर्गों के दिल में जगह बना ली।
वृद्ध माता रानी खाड ने सरलता से कहा,
“जब बेटी, नातिन जैसी प्यारी नानी वृद्धाश्रम आईं, तो बहुत खुशी हुई। उन्होंने सभी के साथ बैठकर खाना खाया और प्यार बाँटा, वह स्मृति बार-बार मन में आती रहती है।”
कठोर अनुशासन का पालन करने वाली एक पुलिस अधिकारी होकर भी, उन्होंने समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए एक संवेदनशील व्यक्ति की छवि पेश की।
पुलिस निरीक्षक के.सी. के ऐसे कार्य समाज को सकारात्मक प्रेरणा देते हैं।
उनके कर्म पुलिस संगठन को नागरिक समाज के और करीब लाकर काम करने की ऊर्जा देंगे।
उनकी यह भावनात्मक पहल इस बात को साबित करती है कि अगर एक पुलिस अधिकारी अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों के साथ मानवीय संवेदना भी साथ लाए, तो समाज और भी सुंदर और सहृदय बन सकता है।