पुलवामा के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला, फिर उठे सियासी सवाल
मनोज कुमार त्रिपाठी/उमेश चन्द्र त्रिपाठी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार दोपहर हुए भीषण आतंकी हमले ने पूरे देश को एक बार फिर दहला दिया है। इस हमले में अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से ज्यादा लोग घायल हैं। बैसरन घाटी में यह हमला उस वक्त हुआ, जब वहां बड़ी संख्या में पर्यटक मौजूद थे।
मारे गए लोगों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और ओडिशा के पर्यटक शामिल हैं। इसके अलावा नेपाल और यूएई के एक-एक टूरिस्ट और दो स्थानीय लोग भी हमले का शिकार हुए।

इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी विंग ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआर एफ) ने ली है। वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बयान दिया है कि “इस हमले में हमारा कोई हाथ नहीं है। हालांकि, भारत में इस बयान को लेकर भारी संदेह है और लोग इसे एक और “पल्ला झाड़ने” की कोशिश के तौर पर देख रहे हैं।
हमले में नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की भी जान गई। उनकी पत्नी हिमांशी ने उन्हें नम आंखों से अंतिम विदाई दी। विनय और हिमांशी की शादी इसी महीने 16 तारीख को हुई थी। जब ताबूत में लिपटा उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा, तो हिमांशी उससे लिपटकर बिलखती रहीं। यह दृश्य पूरे देश की संवेदनाओं को झकझोर देने वाला था।

यह हमला पुलवामा अटैक के बाद का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है। पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले में 40 जवान शहीद हुए थे, जिसकी जिम्मेदारी जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी।
इस बीच, सोशल मीडिया पर चार संदिग्ध आतंकियों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं। कहा जा रहा है कि यही आतंकी इस हमले में शामिल थे। हालांकि, अभी तक सेना या सुरक्षा एजेंसियों की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। फिलहाल सिर्फ स्केच जारी किए गए हैं।

अब सवाल यह है कि क्या इस बार भी भारत सरकार पुलवामा की तरह करारा जवाब दे पाएगी?
यह बात हिंदू-मुस्लिम की नहीं है, यह बात यह है कि क्या यह कोई सियासी चाल तो नहीं? क्योंकि देखा जाए तो भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में सबसे कमजोर कड़ी हिंदू और मुस्लिम धर्मों के बीच कई सालों से चल रही नोक-झोंक को ही माना जाता है। यही नोक-झोंक कई बार देश को बांटने और भावनाओं को भड़काने के लिए इस्तेमाल की जाती है।
यह मुद्दा किसी धर्म का नहीं, बल्कि राष्ट्र की एकता, सुरक्षा और सामूहिक चेतना का है। हमें समझना होगा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, और हर बार जब हम बंटते हैं, तब हमारे दुश्मन मजबूत होते हैं।