
मनोज कुमार त्रिपाठी
काठमांडू! नेपाल में एक बार फिर राजाशाही और हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग जोर पकड़ रही है। हालांकि नेपाल में राजशाही खत्म होने के बाद संवैधानिक व्यवस्था की नींव पड़ने के साथ ही नेपाल एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के तौर पर स्थापित हुआ।
इससे पहले राजशाही के दौरान साल 2008 तक नेपाल एक हिंदू राष्ट्र हुआ करता था। नेपाल में अस्सी प्रतिशत से ज्यादा हिंदू आबादी रहती है।
विश्व हिंदू महासंघ नेपाल की अध्यक्ष अस्मिता भंडारी कहती हैं कि नेपाल की एक पुरानी संस्कृति है। सनातन से नेपाल एक हिंदू अधिराज्य है। नेपाल में हिंदू राजा था। वो दौर सब के लिए बेहतर था। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर द इंडिया एक्सप्रेस न्यूज के प्रमुख संवाददाता मनोज कुमार त्रिपाठी ने आज विश्व हिंदू महासंघ नेपाल की अध्यक्ष अस्मिता भंडारी से एक्सक्लूसिव बातचीत की।
बता दें कि इधर भारत में बीजेपी के सत्ता पर काबिज होने और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के आने के बाद नेपाल के फिर से हिंदू राष्ट्र बनने की मांग जोर पकड़ रही है।
अस्मिता कहती हैं कि योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हम सभी नेपाल वासी काफी उत्साहित है। वो बार-बार नेपाल आकर नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने का आह्वान करते रहे हैं।
नेपाल के हिंदू संगठनों के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी भी लोकतंत्र की बजाए हिंदू राष्ट्र का समर्थन कर रही है। राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के वरिष्ठ नेता कहते हैं कि नेपाल में 80 प्रतिशत लोग हिंदू हैं। इसलिए हमारा मानना है कि नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहिए। हमारे मुल्क की पहचान पूरे विश्व में इसी रूप में है।
लेकिन नेपाल पूर्व प्रधानमंत्री व माओवादी नेता पुष्प कमल दहाल उर्फ प्रचंड, और बड़ी पार्टियां जैसे नेपाली कांग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी कहती है कि लंबी जद्दोजेहाद के बाद संविधान का निर्माण हो सका है।
बता दें कि नेपाल में राजशाही से लोकतंत्र का सफर लंबा और मुश्किल भरा रहा है। नेपाल में लोकतंत्र में यकीन रखने वाली ताकतों का कहना है कि हिंदू राष्ट्र के नारे से देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।